शामली, 5 अक्टूबर 2025 – उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कैराना में एक ऐसा हादसा हुआ है, जिसने पूरे इलाके को सन्नाटे में डुबो दिया। पत्नी के प्रेमी संग भाग जाने से टूट चुके सलमान ने अपने चार मासूम बच्चों को सीने से लगाकर यमुना नदी में छलांग लगा दी। दो दिन बाद आज एक बच्ची का शव 12 किलोमीटर दूर बरामद हुआ और दोपहर साढ़े 12 बजे पिता सलमान का शव मिला। लेकिन बाकी तीन की तलाश अभी भी जारी है। ये घटना न सिर्फ एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि घरेलू कलह और मानसिक तनाव की वो काली सच्चाई उजागर कर रही है, जो रोजमर्रा की जिंदगियों को चुपचाप निगल जाती है।
सलमान, 38 साल का ये मजदूर, मोहल्ला खेलकला का रहने वाला था। वो कभी पानीपत में सिलाई का काम करता, तो कभी पंजाब के लुधियाना में ठेले पर केले बेचता। जिंदगी की मेहनत में उलझा ये शख्स आखिरकार हार मान गया। उसकी पत्नी खुशनुमा ने 2 अक्टूबर को घर छोड़ दिया। वजह? आठ महीने से चल रहा प्रेम प्रसंग। प्रेमी साबिर मुजफ्फरनगर के जौला गांव का रहने वाला है। सलमान की बहन गुलिस्ता बताती हैं, “भाई ने बहुत कोशिश की। झगड़े होते, तकरार होती, लेकिन वो बच्चों के लिए सब सह लेता। आखिर में खुशनुमा ने साबिर के साथ भागकर सब कुछ तबाह कर दिया।” सलमान तीन दिन पहले ही लुधियाना से लौटा था, शायद परिवार को संभालने की आखिरी उम्मीद में। लेकिन वो उम्मीद भी मुरझा गई।
3 अक्टूबर की दोपहर करीब 1 बजे की बात है। सलमान ने अपनी बहन को दो वीडियो भेजे। पहले वाले में वो अपनी 12 साल की बेटी महक से रो-रोकर कहता है, “महक बेटा, हम सब मर जाएंगे। तेरी अम्मी और साबिर ने हमारी जिंदगी बर्बाद कर दी। सात महीने से ये नर्क चल रहा है।” महक भी फूट-फूटकर रो रही है, बाकी बच्चे – 5 साल की शिफा, 8 महीने की नायशा और 3 साल का आयान – चुपचाप पिता के पास चिपके हैं। दूसरे वीडियो में सलमान कहता है, “इस औरत ने मेरी जिंदगी तबाह कर दी। अब मौत ही रास्ता है।” वीडियो देखते ही गुलिस्ता ने पुलिस को फोन किया, लेकिन मोबाइल ट्रेसिंग में देरी हुई। सलमान तब तक हरियाणा बॉर्डर के पास एक ढाबे पर रुका। सीसीटीवी में दिखता है – दोपहर 12:30 बजे वो बच्चों को समोसे खिलाता है। सब शांत। महक की गोद में नायशा है। फिर वो यमुना के पुराने पुल पर पहुंचा।
चश्मदीदों की जुबानी ये कहानी और भी कड़वी हो जाती है। पुल के नीचे झोपड़ी में रहने वाले बाबा शिवगिरी ने बताया, “मैंने देखा, वो पहले दो बच्चों को नदी में फेंका। फिर बाकी दो को गोद में लेकर खुद कूद पड़ा। पास खेल रहे मासूम समद ने भी यही देखा, लेकिन किसी ने गंभीरता नहीं ली।” कोल्ड ड्रिंक की दुकान चलाने वाले सागर कहते हैं, “सलमान कई बार इधर-उधर घूमता दिखा, लेकिन हमें क्या पता था कि वो इतना बड़ा कदम उठा लेगा।” घटना की खबर 4 अक्टूबर सुबह 8 बजे फैली, लेकिन सर्च ऑपरेशन दोपहर 12 बजे शुरू हुआ – पूरे 23 घंटे बाद। निजी गोताखोरों को बुलाया गया, फ्लड पीएसी की टीमें लगीं। लेकिन मोटरबोट में पंक्चर, संसाधनों की कमी – देरी पर सवाल उठे। गुलिस्ता ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया, “वीडियो मिलते ही एक्शन लेते, तो शायद बच जाते।” एसडीएम निधि भारद्वाज ने पुल चौकी के इंचार्ज को फटकार लगाई।
आज, 5 अक्टूबर को एक किरण की उम्मीद जगी। कांधला थाना क्षेत्र के इस्सोपुर टील के पास 12 किलोमीटर दूर यमुना से 12 साल की महक का शव मिला। गोताखोरों और पीएसी फ्लड टीम ने इसे बाहर निकाला। पोस्टमॉर्टम कैराना अस्पताल में चल रहा है। एएसपी संतोष कुमार सिंह कहते हैं, “तलाश युद्ध स्तर पर चल रही है। जो भी तथ्य सामने आएंगे, कार्रवाई होगी।” गुलिस्ता चीख-चीखकर कहती हैं, “खुशनुमा और साबिर को फांसी दो। उन्होंने मेरे भाई-भतीजों की जिंदगी छीन ली।”
ये हादसा सिर्फ सलमान का नहीं, बल्कि उन हजारों परिवारों की कहानी है, जहां घरेलू झगड़े चुपचाप जहर घोलते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं, मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान न दें, तो ऐसे कदम बढ़ते हैं। शामली जैसे इलाकों में, जहां आर्थिक तंगी और सामाजिक दबाव आम है, मदद की जरूरत साफ दिखती है। क्या ये घटना सरकार को जगाएगी? सलमान की तरह कितने और टूटे दिल नदी की गोद में समा जाएंगे? तलाश जारी है, लेकिन जख्म गहरे हैं। परिजन रो रहे हैं, मोहल्ला सन्नाटे में। उम्मीद है, बाकी शव जल्द मिलें, ताकि कम से कम आखिरी विदाई तो हो सके।
