
लखनऊ, 9 सितंबर, 2025: उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें बताया गया कि रियल एस्टेट से जुड़ी शिकायतों में गौतमबुद्ध नगर, लखनऊ, गाजियाबाद, वाराणसी और मेरठ सबसे आगे हैं। ये जिले रियल एस्टेट के बड़े केंद्र हैं, जहां घर खरीदने वालों को प्रोजेक्ट में देरी और पैसा वापसी में, सबसे ज्यादा समस्या सामने आ रही हैं। यूपी रेरा के मुताबिक, अब तक 58,545 शिकायतें दर्ज हुई हैं, जिनमें से 50,812 का निपटारा हो चुका है। यह 85.2% की निपटान दर दर्शाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल 2025 में 2,394 नई शिकायतें आईं, जिनमें से 1,810 का समाधान हो गया। ज्यादातर शिकायतें प्रोजेक्ट में देरी, बिल्डरों द्वारा ब्याज न देना और पैसा वापसी से जुड़ी हैं। गौतमबुद्ध नगर में सबसे ज्यादा शिकायतें हैं, क्योंकि यह क्षेत्र तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट हब के रूप में जाना जाता है। लखनऊ, गाजियाबाद, वाराणसी और मेरठ भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। यूपी रेरा के चेयरमैन संजय भूसरेड्डी ने कहा, “हमारा मकसद घर खरीदने वालों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट में पारदर्शिता लाना है। हमारी उच्च निपटान दर हमारी मेहनत को दिखाती है।”
यूपी रेरा ने हाल ही में कई सख्त कदम उठाए हैं। इस साल 259 नए प्रोजेक्ट पंजीकृत किए गए, जिनमें लखनऊ में 61 और गौतमबुद्ध नगर में 51 शामिल हैं। बिल्डरों को जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए रेरा ने पोर्टल को बैंकों से जोड़ा है, जिससे धन वापसी की प्रक्रिया तेज हुई है। साथ ही, 2,707 रियल एस्टेट एजेंटों का पंजीकरण रद्द किया गया, क्योंकि उन्होंने प्रशिक्षण नहीं लिया। यह कदम पारदर्शिता और पेशेवर रवैये को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया।
हालांकि, कई घर खरीदने वालों का कहना है कि समस्याएं अब भी बनी हुई हैं। गौतमबुद्ध नगर के एक खरीदार ने बताया, “मैंने रेरा में शिकायत की, लेकिन बिल्डर ने धमकी दी कि बुकिंग रद्द कर देगा।” सोशल मीडिया पर भी लोग अपनी नाराजगी जता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “रेरा को और सख्ती करनी चाहिए ताकि बिल्डर मनमानी न करें।”
यूपी रेरा ने लोगों से अपील की है कि वे केवल पंजीकृत प्रोजेक्ट में ही निवेश करें। इसके लिए रेरा की वेबसाइट पर प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी चेक की जा सकती है। यह कदम भविष्य में शिकायतें कम करने में मदद करेगा। सरकार और रेरा की कोशिश है कि रियल एस्टेट क्षेत्र में भरोसा बढ़े और हर खरीदार को उसका हक मिले।