
मथुरा, 6 सितंबर 2025: उत्तर प्रदेश में इन दिनों बारिश और बाढ़ ने लोगों की जिंदगी को मुश्किल में डाल दिया है। खासकर मथुरा और वृंदावन इलाके में यमुना नदी का पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है, जिससे सड़कें, घाट और गांव पानी में डूब गए हैं। वृंदावन की मशहूर परिक्रमा मार्ग पर कमर तक पानी भरा हुआ है, लेकिन फिर भी श्रद्धालु अपनी भक्ति में डटे हुए हैं और पानी में चलकर परिक्रमा कर रहे हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि ऐसी बाढ़ सालों बाद आई है, जो सब कुछ तबाह कर रही है।
पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड में हो रही भारी बारिश और हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने की वजह से यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। मथुरा में यमुना का पानी 166.72 मीटर तक पहुंच गया है, जो खतरे के निशान से काफी ऊपर है। इससे वृंदावन के विश्राम घाट, सोबरी ऋषि वन और कई अन्य घाट पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। यहां तक कि राधारानी मंदिर के मानसरोवर इलाके में भी बाढ़ का पानी घुस गया है, जिससे मंदिर प्रशासन को दर्शन बंद करने पड़े हैं। श्रद्धालुओं को काफी परेशानी हो रही है, लेकिन वे कहते हैं कि भगवान की कृपा से सब ठीक हो जाएगा।
बाढ़ का असर सिर्फ वृंदावन तक सीमित नहीं है। पूरे उत्तर प्रदेश के करीब 38 जिलों में बाढ़ जैसे हालात हैं। प्रयागराज में गंगा नदी उफान पर है, जबकि मुरादाबाद और फिरोजाबाद में भी पानी ने खेतों को डुबो दिया है। किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं, और कई गांवों से लोगों को निकालकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, अब तक 1500 से ज्यादा लोगों को बचाया गया है, और राहत कैंप लगाए गए हैं जहां खाना, पानी और दवाइयां दी जा रही हैं। लेकिन बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं।
स्थानीय प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है। मथुरा-वृंदावन में स्कूल बंद हैं, और लोगों को घरों से बाहर न निकलने की सलाह दी गई है। एनडीआरएफ की टीमें तैनात हैं, जो नावों से लोगों को निकाल रही हैं। एक स्थानीय निवासी रामेश्वर ने बताया, “हमारे गांव में पानी इतना भर गया है कि घरों में घुस गया। फसलें तो गईं, अब जान बचाना मुश्किल हो रहा है। सरकार से मदद की उम्मीद है।” वहीं, वृंदावन में परिक्रमा मार्ग पर नाव चल रही हैं, जहां पहले गाड़ियां दौड़ती थीं। बांके बिहारी मंदिर के आसपास भी पानी भरा है, लेकिन पुजारी और भक्त मिलकर पूजा-अर्चना जारी रखे हुए हैं।
उत्तर भारत में लगातार हो रही बारिश ने दिल्ली-एनसीआर को भी प्रभावित किया है, जहां यमुना का पानी बढ़ने से नोएडा के सेक्टर 135 में गांव डूब गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से ऐसी आपदाएं बढ़ रही हैं, और सरकार को बाढ़ नियंत्रण के लिए बेहतर योजनाएं बनानी चाहिएं।
इस बाढ़ ने एक बार फिर याद दिलाया है कि प्रकृति के सामने इंसान कितना कमजोर है। लेकिन लोगों की हिम्मत और एकजुटता से ही ऐसे संकट से निपटा जा सकता है। सरकार की तरफ से राहत कार्य तेज किए जा रहे हैं, और उम्मीद है कि जल्द ही हालात सामान्य होंगे। अगर आप इस इलाके में हैं, तो सावधानी बरतें और अधिकारियों की सलाह मानें।