
छांगुर बाबा
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के नेतृत्व में चल रहे एक बड़े अवैध धर्मांतरण नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। यूपी एटीएस और एसटीएफ की जांच में पता चला है कि इस रैकेट को 100 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी फंडिंग मिली, जिसका इस्तेमाल जबरन धर्म परिवर्तन, संपत्ति खरीद, और अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों में किया गया। यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) अमिताभ यश ने इस मामले में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे हैं।
छांगुर बाबा और उसका नेटवर्क
जलालुद्दीन, जिसे छांगुर बाबा या हाजी पीर जलालुद्दीन के नाम से जाना जाता है, बलरामपुर के उतरौला कस्बे का रहने वाला है। वह खुद को सूफी संत के रूप में प्रचारित करता था, लेकिन जांच में पता चला कि वह एक संगठित धर्मांतरण नेटवर्क का सरगना था। इस नेटवर्क में उसके बेटे महबूब, नीतू उर्फ नसरीन, और नवीन उर्फ जमालुद्दीन जैसे लोग शामिल थे। यह गिरोह उत्तर प्रदेश के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों में भी सक्रिय था। जांच में खुलासा हुआ कि छांगुर बाबा ने 40 से 50 बार खाड़ी देशों की यात्राएं कीं, जहां से उसे भारी फंडिंग मिली। उसके 40 से अधिक बैंक खातों में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का लेन-देन हुआ, जिसमें से नसरीन के खातों में ही सऊदी अरब से 100 करोड़ रुपये आए।
प्रमुख सदस्य और उनकी भूमिका
- जलालुद्दीन (छांगुर बाबा): नेटवर्क का मास्टरमाइंड, जो विदेशी फंडिंग का इंतजाम करता था और धर्मांतरण की योजना बनाता था।
- नीतू उर्फ नसरीन: एक मुख्य सहयोगी, जिसके खातों में भारी विदेशी फंडिंग आई। वह लोगों को लालच देकर धर्म परिवर्तन के लिए उकसाती थी।
- महबूब: छांगुर बाबा का बेटा, जो अप्रैल 2025 में गिरफ्तार हुआ। वह नेटवर्क में सक्रिय भूमिका निभाता था।
- नवीन उर्फ जमालुद्दीन: मुंबई का रहने वाला, जिसे छांगुर बाबा ने धर्म परिवर्तन कराकर अपने नेटवर्क में शामिल किया।
- अन्य एजेंट: कई अन्य लोग इस नेटवर्क का हिस्सा थे, जो पूरे देश में फैले थे और स्थानीय स्तर पर लोगों को निशाना बनाते थे।
विदेशी कनेक्शन
जांच में सामने आया कि छांगुर बाबा ने खाड़ी देशों, खासकर सऊदी अरब, कतर, और अबू धाबी से फंडिंग हासिल की। उसने 40 से 50 बार इन देशों की यात्राएं कीं, जहां वह फंडिंग और नेटवर्क को मजबूत करने के लिए संपर्क बनाता था। यह फंडिंग विभिन्न संस्थाओं और व्यक्तियों के नाम पर खोले गए बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती थी।
कार्यप्रणाली: सुनियोजित और क्रूर रणनीति
छांगुर बाबा का नेटवर्क एक सुनियोजित और संगठित ढंग से काम करता था। यह गिरोह गरीब, असहाय, और नाबालिगों को निशाना बनाता था, और उन्हें पैसे, नौकरी, या शादी का लालच देकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करता था। उनकी कार्यप्रणाली में कई स्तर थे, जो इसे और खतरनाक बनाते थे।
निशाना बनाना और लालच देना
इस नेटवर्क ने समाज के सबसे कमजोर वर्गों को टारगेट किया। गरीब परिवारों, मजदूरों, और नाबालिग लड़कियों को पैसे का लालच देकर फंसाया जाता था। जांच में पता चला कि अलग-अलग जातियों की लड़कियों के लिए धर्म परिवर्तन की दरें तय थीं:
- ब्राह्मण, क्षत्रिय, और सरदार लड़कियां: 15-16 लाख रुपये।
- पिछड़ी जातियां: 10-12 लाख रुपये।
- अन्य जातियां: 8-10 लाख रुपये।
यह लालच न केवल पैसे तक सीमित था, बल्कि नौकरी, विदेश में सेटलमेंट, और शादी के वादे भी शामिल थे। कई मामलों में, नाबालिग लड़कियों को प्रेम जाल (लव जिहाद) में फंसाकर धर्म परिवर्तन कराया गया, जैसे कि लखनऊ की गुंजा गुप्ता का मामला, जहां उसे धोखे से हिंदू नाम का इस्तेमाल कर फंसाया गया।
धमकी और दबाव
जो लोग लालच में नहीं आते थे, उन्हें कोर्ट और पुलिस में झूठे मुकदमे दर्ज कराने की धमकी दी जाती थी। नेटवर्क के कुछ सदस्य, जैसे कि कथित पत्रकार एमेन रिजवी, पिंकी हरिजन, और हाजिरा शंकर, लोगों को डराने और दबाव बनाने में शामिल थे। यह दबाव इतना गंभीर था कि कई लोग डर के मारे धर्म परिवर्तन के लिए राजी हो जाते थे।
प्रचार और ब्रेनवॉश
छांगुर बाबा ने “शिजर-ए-तैय्यबा” नाम की एक पुस्तक छपवाई थी, जिसका इस्तेमाल इस्लाम के प्रचार-प्रसार और लोगों को ब्रेनवॉश करने के लिए किया जाता था। इसके अलावा, वह अपने दरगाह (चांद औलिया दरगाह, मधपुर) के जरिए लोगों को आकर्षित करता था। वहां आयोजित कार्यक्रमों में लोगों को धार्मिक शिक्षा दी जाती थी, जिसका मकसद उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित करना था।
विदेशी फंडिंग और संपत्ति का जाल
इस नेटवर्क की सबसे चौंकाने वाली बात थी इसकी वित्तीय ताकत। जांच में पता चला कि छांगुर बाबा के 40 से अधिक बैंक खातों में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का लेन-देन हुआ। यह पैसा मुख्य रूप से खाड़ी देशों से आया और इसका इस्तेमाल न केवल धर्मांतरण में, बल्कि बंगले, शोरूम, और लग्जरी गाड़ियां खरीदने में भी किया गया। बलरामपुर में उसने कई संपत्तियां खरीदीं, जिनमें से कुछ सार्वजनिक और कुछ निजी जमीनों पर थीं।
फंडिंग का स्रोत
जांच एजेंसियों को संदेह है कि यह फंडिंग कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठनों और व्यक्तियों से जुड़ी हो सकती है, जो भारत में धार्मिक और सामाजिक तनाव पैदा करने का मकसद रखते हैं। खाड़ी देशों से आने वाली राशि को विभिन्न फर्जी संस्थाओं और एनजीओ के नाम पर ट्रांसफर किया जाता था। नसरीन के आठ बैंक खातों में अकेले सऊदी अरब से 100 करोड़ रुपये आए, जो इस नेटवर्क की पहुंच को दर्शाता है।
संपत्ति का दुरुपयोग
छांगुर बाबा ने इस फंडिंग का इस्तेमाल अपनी शानो-शौकत बढ़ाने में भी किया। उसने बलरामपुर में बंगले, शोरूम, और महंगी गाड़ियां खरीदीं। उसकी संपत्तियों की जांच अभी जारी है, और यह संभावना है कि और भी संपत्तियां सामने आएंगी।
यूपी पुलिस और एटीएस की कार्रवाई
यूपी एटीएस और एसटीएफ ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई की। नवंबर 2024 में पहली बार इस नेटवर्क के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, और अप्रैल 2025 में महबूब और नवीन उर्फ जमालुद्दीन को गिरफ्तार किया गया। 5 जुलाई 2025 को छांगुर बाबा और नसरीन को गिरफ्तार किया गया।
जांच और गिरफ्तारियां
एडीजी अमिताभ यश ने बताया कि इस नेटवर्क की पहुंच पूरे भारत में थी, और यह इंडो-नेपाल बॉर्डर के इलाकों में खास तौर पर सक्रिय था। जांच में कई दस्तावेज और सबूत मिले, जिनमें छांगुर बाबा के पास से बरामद साहित्य भी शामिल था, जो इस्लामिक राष्ट्र बनाने की बात को दर्शाता है।
अन्य संदिग्धों की तलाश
एटीएस अब इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश में है। पिंकी हरिजन, हाजिरा शंकर, और एमेन रिजवी जैसे लोग भी जांच के दायरे में हैं। यह संभावना है कि आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां होंगी।
निष्कर्ष
छांगुर बाबा का अवैध धर्मांतरण रैकेट एक गंभीर अपराध का उदाहरण है, जो न केवल कानून-व्यवस्था के लिए खतरा है, बल्कि समाज में विश्वास और एकता को भी कमजोर करता है। यूपी एटीएस और एसटीएफ की कार्रवाई ने इस नेटवर्क को उजागर किया है, लेकिन अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं। विदेशी फंडिंग के स्रोत, नेटवर्क की पूरी पहुंच, और इसके पीछे की मंशा की गहन जांच जरूरी है। यह मामला समाज और सरकार के लिए एक चेतावनी है कि ऐसी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने और तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत है|