
बलिया, 7 सितंबर 2025: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जो मेडिकल एडमिशन की प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहा है। यहां 11 छात्रों पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर NEET-UG 2025 की काउंसलिंग में स्वतंत्रता सेनानी आश्रित कोटे का फायदा उठाया और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला हासिल कर लिया। जांच में इन प्रमाणपत्रों पर नकली सील, हस्ताक्षर और डीएम के फर्जी साइन मिले हैं, जिसके बाद सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। यह मामला पूरे राज्य में फैले बड़े घोटाले का हिस्सा लग रहा है, जहां अब तक 64 छात्रों के एडमिशन रद्द हो चुके हैं।
बात की शुरुआत अगस्त के आखिर से हुई, जब NEET-UG 2025 की काउंसलिंग चल रही थी। बलिया के इन 11 छात्रों ने दावा किया कि वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रित हैं, जो आरक्षण कोटे में 2 फीसदी सीटें देता है। लेकिन जब मेडिकल एजुकेशन विभाग ने सत्यापन शुरू किया, तो सच्चाई सामने आ गई। जिलाधिकारी संजीव सिंह ने बताया कि इन प्रमाणपत्रों पर उनके नाम की फर्जी मुहर और हस्ताक्षर थे। “हमने तुरंत जांच कराई और पाया कि ये दस्तावेज पूरी तरह नकली हैं। सभी छात्रों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है,” उन्होंने कहा। पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह ने भी पुष्टि की कि 11 नामजद अभ्यर्थियों पर IPC की धारा 420, 467 और 468 के तहत केस दर्ज हुआ है।
यह फर्जीवाड़ा सिर्फ बलिया तक सीमित नहीं है। राज्य भर में 10 जिलों से ऐसे 64 मामले पकड़े गए हैं, जहां छात्रों ने कम नंबरों के बावजूद फर्जी सर्टिफिकेट से MBBS कोर्स में जगह बना ली। अम्बेडकर नगर, आजमगढ़ और अन्य जगहों से भी शिकायतें आईं। एक छात्रा का केस तो खास तौर पर चर्चा में है, जिसने NEET में कम अंक लाए थे, लेकिन फर्जी प्रमाणपत्र से एडमिशन ले लिया। मेडिकल काउंसलिंग कमिटी (MCC) ने सभी फर्जी एडमिशन रद्द कर दिए हैं और प्रभावित छात्रों को नोटिस जारी किया है। अब ये छात्र न सिर्फ कोटा खो चुके हैं, बल्कि कानूनी पचड़े में भी फंस गए हैं।
स्थानीय लोग इस घोटाले से हैरान हैं। एक अभिभावक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “ये बच्चे तो पढ़ाई के लिए मेहनत करते हैं, लेकिन ऐसे धोखेबाजों की वजह से सिस्टम पर भरोसा कम हो रहा है।” विशेषज्ञों का कहना है कि कोटा सिस्टम में सत्यापन की प्रक्रिया को और सख्त करने की जरूरत है। डीएम ने बताया कि जिले में अब डिजिटल वेरिफिकेशन शुरू किया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसा न हो। साथ ही, जो लोग फर्जी दस्तावेज बनवाने में मदद करते हैं, उनके खिलाफ भी छापेमारी की जाएगी।
यह मामला NEET जैसी महत्वपूर्ण परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहा है। लाखों छात्र साल भर की मेहनत के बाद सीट के लिए तरसते हैं, लेकिन कुछ लोग shortcut अपनाकर आगे निकल जाते हैं। सरकार ने वादा किया है कि दोषियों को सजा मिलेगी और सिस्टम को मजबूत बनाया जाएगा। फिलहाल, बलिया में पुलिस जांच तेज कर रही है, और उम्मीद है कि जल्द ही पूरी सच्चाई सामने आएगी। अगर आप भी NEET काउंसलिंग से जुड़े हैं, तो अपने दस्तावेजों की दोबारा जांच कर लें। यह घटना सबक सिखाती है कि ईमानदारी ही असली रास्ता है।