
आगरा, 9 सितंबर 2025: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के विकास भवन में सोमवार को आयोजित किसान बैठक उस समय हंगामेदार हो गई, जब कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य वहां पहुंचीं और एक भी अधिकारी मौजूद नहीं मिला। नाराज मंत्री ने तुरंत बैठक रद्द कर दी और कहा कि वे इस लापरवाही की पूरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजेंगी। इस घटना से गुस्साए किसानों ने विकास भवन के बाहर “आगरा प्रशासन मुर्दाबाद” के नारे लगाए और प्रशासन के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली।
यह बैठक किसानों की समस्याओं, जैसे फसल बीमा, बिजली बिल और कोल्ड स्टोरेज की समस्याओं पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। बेबी रानी मौर्य ठीक 12 बजे विकास भवन पहुंचीं, लेकिन वहां कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं था। मंत्री ने इसे किसानों के मुद्दों की अनदेखी बताया और कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “आगरा के अधिकारी किसानों की आवाज सुनना ही नहीं चाहते। यह गैर-जिम्मेदारी बर्दाश्त नहीं होगी।” उन्होंने अधिकारियों की अनुपस्थिति को गंभीर लापरवाही करार दिया और मुख्यमंत्री को शिकायत करने का ऐलान किया।
बैठक रद्द होने से किसान और भड़क गए। किसान नेता श्याम सिंह चाहर ने चेतावनी दी कि अगर उनकी समस्याओं का जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे धरना और अनशन करेंगे। किसानों ने आरोप लगाया कि प्रशासन और कोल्ड स्टोरेज मालिकों की सांठगांठ के चलते उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं। कुछ ने भ्रष्टाचार के भी गंभीर आरोप लगाए। विकास भवन के बाहर नारेबाजी और हंगामे के बाद पुलिस को हालात संभालने के लिए बुलाना पड़ा।
स्थानीय लोगों का कहना है कि आगरा प्रशासन की लापरवाही कोई नई बात नहीं है। एक किसान ने बताया, “हमारी समस्याएं सालों से अनसुनी हैं। बिजली बिल लाखों में आ रहे हैं, और फसल बीमा का पैसा नहीं मिलता।” सोशल मीडिया पर भी इस घटना की खूब चर्चा है। एक यूजर ने लिखा, “अधिकारी बैठक में नहीं आए, यह किसानों का अपमान है।”
आगरा प्रशासन ने अब जांच शुरू कर दी है और अधिकारियों को नोटिस भेजे गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, कुछ अधिकारियों पर निलंबन की तलवार लटक रही है। यूपी रेरा और अन्य विभागों ने भी किसानों के मुद्दों पर तुरंत कार्रवाई का भरोसा दिया है। यह घटना प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है और दिखाती है कि किसानों की आवाज को गंभीरता से लेने की जरूरत है। उम्मीद है कि सरकार और प्रशासन इस मामले में ठोस कदम उठाएंगे ताकि किसानों का भरोसा जीता जा सके।