
उत्तर प्रदेश में स्कूल मर्जर का मुद्दा गर्माया हुआ है, और कांग्रेस पार्टी ने इसके खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। लखनऊ में विधानसभा घेराव की कोशिश में कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर सरकार के फैसले का विरोध किया। उनका कहना है कि प्राइमरी स्कूलों को मर्ज करने से गरीब बच्चों की पढ़ाई और शिक्षकों की नौकरियां खतरे में पड़ेंगी। यह आंदोलन शिक्षा और रोजगार के मुद्दों को लेकर जनता का ध्यान खींच रहा है।
लखनऊ में विधानसभा घेराव की कोशिश
कांग्रेस कार्यकर्ता आज सुबह लखनऊ में पार्टी कार्यालय से निकलकर विधानसभा की ओर बढ़े। उनके हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था, “गांव के स्कूल बचाओ” और “शिक्षा पर हमला बंद करो।” नेताओं ने कहा कि मर्जर से गांवों में स्कूलों तक पहुंच मुश्किल होगी, खासकर लड़कियों के लिए। पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रोका, जिससे तनाव बढ़ गया। कुछ कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया, लेकिन प्रदर्शन जारी रहा। यह मुद्दा अब सोशल मीडिया पर भी जोर पकड़ रहा है।
पुलिस से झड़प और हिरासत
प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच हल्की झड़प हुई। पुलिस ने विधानसभा के आसपास कड़ी सुरक्षा रखी थी और धारा 163 बीएनएसएस के तहत प्रदर्शन पर रोक थी। कुछ कार्यकर्ताओं को ईको गार्डन ले जाया गया। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने पुलिस की कार्रवाई को “तानाशाही” बताया और कहा कि वे जनता के मुद्दों को उठाते रहेंगे।
प्रियंका गांधी का बयान
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने पहले ही इस मर्जर को गरीब और वंचित बच्चों के खिलाफ बताया था। उन्होंने ट्वीट किया कि यह फैसला शिक्षा को कमजोर करेगा। उनके बयान ने कार्यकर्ताओं में जोश भरा, और आज का प्रदर्शन उनकी बात को आगे बढ़ाने का प्रयास था।
शिक्षक संगठनों का समर्थन
शिक्षक संगठन भी इस विरोध में कांग्रेस के साथ खड़े हैं। उनका कहना है कि स्कूल मर्जर से शिक्षकों की नौकरियां जा सकती हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ाई का स्तर गिरेगा। गोंडा में शिक्षकों ने डीएम को ज्ञापन सौंपा, जिसमें मर्जर रद्द करने की मांग की गई। संगठनों ने 5 जुलाई से धरना और ब्लैक बैज आंदोलन की चेतावनी दी है। यह मुद्दा अब पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है।
मर्जर की योजना क्या है?
यूपी सरकार ने कम नामांकन वाले स्कूलों को पास के स्कूलों में मर्ज करने की योजना बनाई है। इसका मकसद शिक्षक-छात्र अनुपात को ठीक करना और खाली भवनों में बाल वाटिका या हेल्थ सेंटर खोलना बताया गया है। लेकिन शिक्षक संगठनों का कहना है कि इससे ग्रामीण बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ेगा।
ग्रामीण बच्चों पर प्रभाव
शिक्षकों का कहना है कि मर्जर से गांवों में स्कूल दूर हो जाएंगे, जिससे बच्चों, खासकर लड़कियों, को स्कूल पहुंचने में दिक्कत होगी। कई परिवारों के पास परिवहन के साधन नहीं हैं, जिससे ड्रॉपआउट दर बढ़ सकती है। यह चिंता प्रदर्शन का बड़ा कारण है।
सरकार का जवाब
यूपी सरकार ने मर्जर की खबरों को “भ्रामक” बताया है। उनका कहना है कि कोई स्कूल बंद नहीं हो रहा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की कोशिश हो रही है। सरकार ने कहा कि ड्रॉपआउट दर कम करने और बेहतर सुविधाएं देने के लिए योजनाएं चल रही हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कांग्रेस के प्रदर्शन को “ड्रामा” करार दिया और कहा कि उनकी नीतियां जनता के हित में हैं।
कांग्रेस का अगला कदम
कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि अगर मर्जर की योजना रद्द नहीं हुई तो वे और बड़े प्रदर्शन करेंगे। अजय राय ने कहा कि वे जनता के हक के लिए लड़ते रहेंगे। पार्टी अब सोशल मीडिया और ग्रामीण क्षेत्रों में कैंपेन चलाने की योजना बना रही है।
सोशल मीडिया पर हलचल
सोशल मीडिया पर #SaveVillageSchools ट्रेंड कर रहा है। लोग मर्जर के खिलाफ अपनी राय शेयर कर रहे हैं, और कांग्रेस की एनएसयूआई यूनिट ने इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की। कई यूजर्स ने सरकार से इस फैसले पर दोबारा सोचने को कहा।
क्या होगा आगे?
यह प्रदर्शन यूपी में शिक्षा और राजनीति के बीच टकराव को दिखाता है। कांग्रेस इसे गरीबों और ग्रामीण बच्चों के हक की लड़ाई बता रही है, जबकि सरकार इसे सुधार का कदम कह रही है। आने वाले दिन इस मुद्दे पर और बहस को जन्म दे सकते हैं। अगर आप इस बारे में और जानना चाहते हैं, तो हमारे साथ बने रहें।