दो अक्टूबर का दिन भारत के लिए बेहद खास है। इस दिन न सिर्फ लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म हुआ, बल्कि महात्मा गांधी का जन्मदिन भी है। 1869 में गुजरात के पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें हम बापू कहते हैं, ने भारत को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी जयंती पर हम उनकी सादगी, सत्य और अहिंसा के रास्ते को याद करते हैं। गांधी जी का जीवन न सिर्फ प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि उनकी कहानियां हमें हिम्मत और इंसानियत का पाठ पढ़ाती हैं। वे कोई सुपरहीरो नहीं थे, बल्कि एक साधारण इंसान थे जिन्होंने असाधारण काम किए। उनकी जिंदगी के कुछ ऐसे किस्से हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि सच्चाई और मेहनत कितनी ताकत रखते हैं। आइए, उनकी जयंती पर उनके जीवन की कुछ रोचक कहानियों को जानें और प्रेरणा लें।
बचपन की शरारतें और सत्य का रास्ता
महात्मा गांधी का बचपन शरारतों और सीख से भरा था। पोरबंदर में मोहन नाम का यह बच्चा बेहद शर्मीला था। स्कूल में उसे डर लगता था कि कहीं टीचर डांट न दें। लेकिन उसकी जिंदगी में एक घटना ऐसी हुई जिसने उसे सत्य का पुजारी बना दिया। एक बार स्कूल में इंस्पेक्शन के दौरान अंग्रेजी का टेस्ट हुआ। मोहन को एक शब्द की स्पेलिंग नहीं आती थी। टीचर ने इशारा किया कि नकल कर लो। लेकिन मोहन ने मना कर दिया। उसने गलत स्पेलिंग लिखी, पर सच्चाई चुनी। बाद में उसने अपनी आत्मकथा में लिखा कि उस दिन उसे समझ आया कि सच बोलना कितना जरूरी है।
एक और मजेदार किस्सा है। मोहन को बचपन में मांस खाने की लालच हुई। एक दोस्त ने कहा कि अंग्रेज इसलिए ताकतवर हैं क्योंकि वे मांस खाते हैं। मोहन ने चुपके से बकरी का मांस खाया, लेकिन रात को नींद नहीं आई। उन्हें लगा कि बकरी उनके पेट में मिमिया रही है। उन्होंने उसी दिन मांस छोड़ दिया और मां से सच बता दिया। मां ने डांटा नहीं, बल्कि समझाया। ये छोटी छोटी घटनाएं थीं जिन्होंने गांधी जी को सत्य और अहिंसा का रास्ता दिखाया। उनके बचपन की ये कहानियां हमें सिखाती हैं कि गलतियां हर कोई करता है, लेकिन उनसे सीखकर आगे बढ़ना ही असली समझदारी है।
दक्षिण अफ्रीका की घटना और सत्याग्रह का जन्म
गांधी जी का जीवन दक्षिण अफ्रीका में पूरी तरह बदल गया। 1893 में वे वकील के तौर पर वहां गए। एक बार प्रिटोरिया से डरबन की ट्रेन में सफर कर रहे थे। उनके पास फर्स्ट क्लास का टिकट था, लेकिन गोरी चमड़ी वाले यात्रियों को उनकी मौजूदगी पसंद नहीं आई। एक अंग्रेज अफसर ने उन्हें तीसरे डिब्बे में जाने को कहा। गांधी जी ने मना किया, क्योंकि उनका टिकट वैध था। इसके बाद उन्हें जबरदस्ती पीटरमैरिट्जबर्ग स्टेशन पर उतार दिया गया। ठंडी रात में वे प्लेटफॉर्म पर अकेले बैठे और सोचने लगे। यहीं से सत्याग्रह की नींव पड़ी। उन्होंने ठान लिया कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएंगे, लेकिन बिना हिंसा के।
एक और रोचक घटना थी। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को पास लेना पड़ता था। गांधी जी ने इसका विरोध किया। एक बार हजारों भारतीयों के साथ उन्होंने पास जलाने का आंदोलन शुरू किया। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया, लेकिन गांधी जी डरे नहीं। वे कहते थे, जेल जाना कोई सजा नहीं, बल्कि सम्मान है। इस आंदोलन ने न सिर्फ भारतीयों को एकजुट किया, बल्कि दुनिया को अहिंसक विरोध का रास्ता दिखाया। ये कहानियां बताती हैं कि गांधी जी ने कितनी हिम्मत से अन्याय का सामना किया। आज भी उनकी ये बातें हमें सिखाती हैं कि सच्चाई और धैर्य से बड़ी से बड़ी लड़ाई जीती जा सकती है।
स्वतंत्रता संग्राम की अनोखी कहानियाँ
भारत लौटने के बाद गांधी जी ने स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। 1917 में चंपारण सत्याग्रह उनकी पहली बड़ी जीत थी। बिहार के किसानों को अंग्रेजों ने नील की खेती के लिए मजबूर किया था। गांधी जी वहां गए, किसानों से मिले, उनकी तकलीफ सुनी। अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी दी, लेकिन गांधी जी ने कहा, मैं तो सच के साथ हूं। हजारों किसान उनके साथ आ गए। आखिरकार अंग्रेजों को नियम बदलने पड़े। ये सत्याग्रह की ताकत थी।
एक और मजेदार किस्सा 1930 के नमक सत्याग्रह का है। गांधी जी ने साबरमती से दांडी तक 240 मील की यात्रा शुरू की। उनके साथ कुछ लोग थे, लेकिन रास्ते में हजारों जुड़ गए। समुद्र तट पर पहुंचकर उन्होंने मुट्ठी भर नमक उठाया और ब्रिटिश कानून तोड़ा। ये छोटा सा काम पूरी दुनिया में छा गया। लोग कहते थे, एक लंगोटी वाला आदमी अंग्रेजों को हिला रहा है। गांधी जी की ये कहानियां हमें सिखाती हैं कि साहस और एकता के आगे कोई ताकत नहीं टिकती। वे कहते थे, आजादी हमारा हक है, लेकिन इसे पाने के लिए मेहनत और बलिदान चाहिए। उनकी जयंती पर ये किस्से हमें याद दिलाते हैं कि कैसे एक आदमी ने अपने विचारों से पूरे देश को जोड़ा।
सादगी और जीवनशैली की प्रेरक कहानियाँ
गांधी जी की सादगी उनकी सबसे बड़ी ताकत थी। वे प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन उन्होंने साबरमती आश्रम में साधारण जीवन चुना। एक बार एक विदेशी पत्रकार उनसे मिलने आया। गांधी जी चरखा कात रहे थे। पत्रकार ने पूछा, आप इतने बड़े नेता होकर लंगोटी क्यों पहनते हैं? गांधी जी हंसकर बोले, मेरे देश के लाखों लोग यही पहनते हैं, मैं उनसे अलग क्यों रहूं। उनकी ये बात पत्रकार को हमेशा याद रही।
एक और किस्सा है। गांधी जी को एक बार किसी ने महंगी घड़ी तोहफे में दी। लेकिन उन्होंने उसे बेचकर आश्रम के लिए पैसे जुटाए। वे कहते थे, मेरे पास वही चीज रहनी चाहिए जो जरूरी हो। उनके कपड़े, खाना, सब कुछ सादा था। वे खुद अपने कपड़े धोते थे, आश्रम में झाड़ू लगाते थे। एक बार जेल में उन्होंने अपने जूते खुद सिल लिए। पूछने पर बोले, मेहनत में शर्म कैसी। उनकी ये सादगी आज के नेताओं के लिए सबक है। गांधी जी का मानना था कि सच्चा नेता वही है जो लोगों के साथ मिलकर चले। उनकी जयंती पर ये कहानियां हमें याद दिलाती हैं कि जिंदगी में सादगी और मेहनत ही असली खुशी लाती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: महात्मा गांधी का जन्म कब और कहां हुआ था?
उत्तर: उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।
प्रश्न 2: गांधी जी को राष्ट्रपिता क्यों कहा जाता है?
उत्तर: स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान और देश को एकजुट करने के कारण उन्हें राष्ट्रपिता कहा जाता है।
प्रश्न 3: सत्याग्रह का विचार गांधी जी को कब और कहां आया?
उत्तर: दक्षिण अफ्रीका में 1893 में ट्रेन की घटना के बाद उन्हें सत्याग्रह का विचार आया।
प्रश्न 4: दांडी नमक सत्याग्रह कब हुआ था?
उत्तर: यह 12 मार्च से 6 अप्रैल 1930 तक चला था।
प्रश्न 5: गांधी जी की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर: 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।
