लखनऊ, 1 अक्टूबर 2025 – उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की जिला जेल में मंगलवार शाम को एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे राजनीतिक परिदृश्य को हिला दिया। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति पर एक अन्य कैदी ने अचानक जानलेवा हमला कर दिया। सिर पर कई तेज वार होने से उन्हें गंभीर चोटें आईं, और सिर में कम से कम 5 से 10 टांके लगे। जेल अस्पताल में प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी हालत स्थिर बताई है। लेकिन सवाल उठ रहे हैं – क्या यह महज एक झगड़ा था, या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश छिपी है?
घटना जेल के अस्पताल वार्ड में हुई। गायत्री प्रजापति को उनकी कई पुरानी बीमारियों – जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, किडनी की समस्या और कमर दर्द – के कारण जेल अस्पताल में ही रखा गया था। बताया जाता है कि सफाई ड्यूटी पर तैनात एक कैदी, जिसका नाम विश्वास बताया जा रहा है, पानी लाने में थोड़ी देरी होने पर भड़क गया। बहस बढ़ी, और गुस्से में उसने अलमारी का स्लाइडिंग पार्ट (लोहे की रॉड) – कुछ रिपोर्ट्स में कैंची भी कहा गया – से प्रजापति के सिर पर ताबड़तोड़ वार कर दिए। चीख-पुकार मचने पर जेल स्टाफ दौड़ा, लेकिन तब तक खून बह चुका था। हमलावर कैदी को हिरासत में ले लिया गया है, और उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
गायत्री प्रजापति 2016 से जेल में हैं। उन पर बलात्कार और अन्य गंभीर आरोप लगे थे, जो अखिलेश यादव सरकार के आखिरी दिनों में दर्ज हुए। सपा समर्थक उन्हें राजनीतिक साजिश का शिकार मानते हैं। अब इस हमले ने पुरानी चिंगारियां फिर सुलगा दी हैं। प्रजापति की बेटी अंकिता ने अस्पताल पहुंचकर मीडिया से बात की। आंखों में आंसू लिए उन्होंने कहा, “मेरे पिता निर्दोष हैं। वे आतंकवादी या अपराधी नहीं, बल्कि समाज के लिए काम करने वाले नेता थे। आठ साल से ज्यादा जेल में सड़ रहे हैं, और अब जान से मारने की कोशिश। क्या जेल में भी सुरक्षा नहीं मिल सकती?” अंकिता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने की इच्छा जताई और न्याय की गुहार लगाई। परिवार ने जेल में अतिरिक्त सुरक्षा की मांग की है, ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस हमले को लेकर योगी सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “भूतपूर्व विधायक व उप्र सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति पर जेल में हुए जानलेवा हमले की निष्पक्ष न्यायिक जाँच हो। उप्र में कहीं भी, कोई भी सुरक्षित नहीं है।” अखिलेश ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की और कहा कि सच्चाई सामने आनी चाहिए। आजाद अधिकार सेना के अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने भी राज्यपाल को पत्र लिखकर सीबीआई या एसआईटी से जांच कराने की अपील की। उन्होंने ट्वीट में कहा, “यह हमला सिर्फ प्रजापति पर नहीं, बल्कि पूरे यूपी की जेल व्यवस्था पर सवाल है।”
जेल प्रशासन ने घटना को ‘साधारण झगड़ा’ बताया है। डीआईजी जेल राकेश कुमार ने कहा, “हमलावर कैदी का पुराना विवाद था। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं, लेकिन ऐसी घटनाएं रोकना चुनौतीपूर्ण है। जांच चल रही है।” लेकिन विपक्षी दलों का कहना है कि जेलों में कैदियों को हथियार जैसी चीजें कैसे मिल जाती हैं? सपा के कुछ नेताओं ने इसे ‘सोची-समझी साजिश’ करार दिया।
यह घटना यूपी की जेलों की हालत पर सवाल खड़े करती है। आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की जेलों में कैदियों की संख्या क्षमता से दोगुनी है, जो तनाव बढ़ाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि कैदियों के बीच झगड़े आम हैं, लेकिन एक पूर्व मंत्री पर हमला राजनीतिक रंग ले लेता है। प्रजापति के वकील ने हाईकोर्ट में सुरक्षा के लिए याचिका दायर करने की बात कही है।
फिलहाल, ट्रॉमा सेंटर में प्रजापति आराम कर रहे हैं। डॉक्टरों ने कहा कि चोटें सतही हैं, लेकिन सिर पर वार होने से सतर्क रहना पड़ेगा। परिवार और सपा कार्यकर्ता अस्पताल के बाहर जुटे हैं, इंसाफ की उम्मीद में। यह हमला सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि न्याय व्यवस्था की कमजोरियों की याद दिलाता है। क्या सरकार इसकी गहराई से जांच करेगी, या यह फिर एक खबर बनकर रह जाएगी? समय ही बताएगा।
