
अयोध्या, उत्तर प्रदेश, 30 सितंबर, 2025 – अयोध्या की पवित्र गलियों में हर रोज लाखों श्रद्धालु आते हैं, रामलला और हनुमानगढ़ी के दर्शन के लिए। लेकिन आजकल एक चिंता ने सबके मन को भिगो दिया है – मंदिर के आसपास बिकने वाले प्रसाद में मिलावट। खासकर हनुमानगढ़ी क्षेत्र के बेसन के लड्डू, पेड़े और देशी घी के सैंपल फेल हो गए हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच में घी में बासीपन की ज्यादा मात्रा और बेसन में खामियां सामने आई हैं। नवरात्रि और दीपावली जैसे त्योहारों से ठीक पहले यह खुलासा आया है, जिससे दुकानदारों पर सख्ती बढ़ गई है।
सोमवार को विभाग ने हनुमानगढ़ी के आसपास की 31 दुकानों से नमूने लिए थे। इनमें से तीन – बेसन के लड्डू, पेड़े और देशी घी – क्वालिटी टेस्ट में नाकाम साबित हुए। घी में रैंसिडिटी (बासीपन) की समस्या थी, जो सेहत के लिए खतरा है। कुछ दुकानों पर कृत्रिम रंग मिलाने के भी आरोप लगे हैं, जो प्रसाद की पवित्रता पर सवाल खड़े करते हैं। असिस्टेंट फूड कमिश्नर माणिक चंद्र सिंह ने बताया, “प्रसाद की शुद्धता भक्ति और स्वास्थ्य दोनों की बात है। लाखों लोग रोज आते हैं, इसलिए हम सतर्क हैं।” उन्होंने कहा कि सैंपल फेल होने पर दुकानदारों को चेतावनी दी गई है और आगे सख्त कार्रवाई होगी।
यह पहली बार नहीं है जब अयोध्या में प्रसाद की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। कुछ महीने पहले संकट मोचन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत संजय दास ने दुकानदारों की बैठक बुलाई थी। उन्होंने साफ कहा था कि लड्डू उच्च गुणवत्ता वाले बेसन और देसी घी से बनें, और दाम 450 से 500 रुपये किलो फिक्स रखें। दुकानदार संजय और जीतेंद्र का दावा है कि वे शुद्ध सामान इस्तेमाल करते हैं। संजय ने कहा, “हम भगवान को चढ़ाने वाला प्रसाद कभी खराब नहीं बनाते। नमूने जांच के लिए दिए हैं, परिणाम इंतजार है।” लेकिन जांच रिपोर्ट ने इन दावों को झुठला दिया।
श्रद्धालुओं पर इसका असर साफ दिख रहा है। हनुमानगढ़ी में रोज 99 फीसदी लोग दर्शन के बाद प्रसाद चढ़ाते और थोड़ा-बहुत ले जाते हैं। मिलावट की खबर से कई लोग निराश हैं। एक भक्त ने बताया, “यह तो विश्वास का सवाल है। भगवान हनुमान को चढ़ाने के बाद प्रसाद खाना पवित्र लगता है, लेकिन अगर इसमें घी या बेसन खराब हो तो?” खासकर राम जन्मभूमि में सुरक्षा कारणों से प्रसाद अंदर नहीं ले जाया जा सकता, इसलिए लोग हनुमानगढ़ी या कनक भवन पर निर्भर रहते हैं।
विभाग अब और सतर्क हो गया है। नवरात्रि और अन्य त्योहारों को देखते हुए, सिंघाड़े के आटे और कुट्टू के आटे जैसे व्रत वाले सामान की भी जांच हो रही है। दुकानदारों को अल्टीमेटम दिया गया है – कृत्रिम रंग या मिलावट बर्दाश्त नहीं। अगर दोबारा पकड़े गए तो कानूनी कार्रवाई होगी, जिसमें जुर्माना या दुकान सील करना शामिल है। जिला प्रशासन पूरे जोर-शोर से लगा है, ताकि त्योहारों में कोई उपद्रव न हो। माणिक सिंह ने जोर देकर कहा, “संत समाज और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी है कि श्रद्धालु शुद्ध प्रसाद पाएं।”
अयोध्या अब राम मंदिर के बाद और भी चमक रही है, लेकिन ऐसी घटनाएं आस्था को ठेस पहुंचाती हैं। दुकानदारों को शुद्धता का पाठ पढ़ाने की जरूरत है, ताकि भक्ति का स्वाद बरकरार रहे। फिलहाल जांच जारी है, और उम्मीद है कि जल्द ही रिपोर्ट आएगी। तब तक श्रद्धालु सावधान रहें।