
बनारस, यानी काशी, अपने घाटों, मंदिरों और गंगा की वजह से पूरी दुनिया में मशहूर है। अब इस पवित्र शहर में एक नया बदलाव होने जा रहा है, और वो है बनारस रोपवे। ये रोपवे न सिर्फ शहर की खूबसूरती को नया रंग देगा, बल्कि लोगों के आने-जाने को भी आसान बनाएगा। कैंट से गोदौलिया तक बन रहा ये रोपवे देश का पहला शहरी रोपवे होगा। आइए, इसके बारे में जानते हैं।
बनारस रोपवे की शुरुआत और योजना
बनारस में रोपवे की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी, और अब इसका काम तेजी से चल रहा है। ये रोपवे कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया चौराहे तक 3.75 किलोमीटर की दूरी को जोड़ेगा। इसका मकसद है शहर के ट्रैफिक को कम करना और पर्यटकों को आसानी से घाटों तक पहुंचाना। इस रोपवे में 150 गोंडोले होंगी, और हर गोंडोला में 10 लोग बैठ सकेंगे। एक बार में 4000 लोग प्रति घंटा सफर कर सकेंगे। खबर है कि इसका ट्रायल जनवरी 2025 में शुरू हुआ, और 2026 तक इसे पूरी तरह शुरू करने की योजना है।
निर्माण में चुनौतियां और विवाद
रोपवे का निर्माण आसान नहीं रहा। गोदौलिया में आखिरी स्टेशन बनाने के लिए कुछ मकानों को तोड़ा गया, जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध किया। मकान मालिकों का कहना था कि उन्हें बिना नोटिस के मकान तोड़े गए। वीडीए के अधिकारियों ने दावा किया कि मुआवजे के लिए मकान मालिकों को कई बार बुलाया गया, लेकिन वे कागजात लेकर नहीं आए। इस विवाद में डीएम ने तीन दिन की मोहलत दी है। इसके बावजूद, निर्माण एजेंसी एनएचएलएमएल काम को तेजी से पूरा करने में जुटी है। स्थानीय लोग इसे स्मार्ट सिटी की दिशा में बड़ा कदम मान रहे हैं, लेकिन मुआवजे का मुद्दा अभी सुलझा नहीं है।
रोपवे से बनारस को क्या फायदा?
बनारस रोपवे शहर के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रहे बनारस में ये रोपवे नया विकल्प देगा। पर्यटक आसानी से काशी विश्वनाथ मंदिर और गंगा घाट तक पहुंच सकेंगे। इससे न सिर्फ समय बचेगा, बल्कि प्रदूषण भी कम होगा। स्थानीय कारोबारियों को उम्मीद है कि पर्यटकों की संख्या बढ़ने से उनकी कमाई भी बढ़ेगी। सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसे मजाक में “झीलों का शहर” का हिस्सा बता रहे हैं, क्योंकि बारिश में बनारस की सड़कें पानी से भर जाती हैं। फिर भी, रोपवे को लेकर उत्साह ज्यादा है। ये प्रोजेक्ट बनारस को और आधुनिक बनाने में मदद करेगा।
भविष्य की उम्मीदें और प्रभाव
बनारस रोपवे 2026 में शुरू होने के बाद शहर की सैर का नया तरीका होगा। लोग ऊपर से गंगा और घाटों का नजारा ले सकेंगे, जो अपने आप में अनोखा अनुभव होगा। जानकारों का कहना है कि ये प्रोजेक्ट पर्यटन को बढ़ावा देगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा। हालांकि, कुछ लोग चिंता जता रहे हैं कि मुआवजे और जमीन के मुद्दों को जल्द सुलझाना होगा, वरना स्थानीय लोगों का भरोसा टूट सकता है। फिलहाल, ट्रायल की सफलता ने उम्मीद जगाई है कि बनारस जल्द ही इस नए बदलाव को गले लगाएगा। ये रोपवे न सिर्फ यातायात का साधन होगा, बल्कि काशी की शान को और बढ़ाएगा।