
फरीदाबाद – हरियाणा के फरीदाबाद जिले के अनंगपुर गांव में वन विभाग की तोड़फोड़ के खिलाफ रविवार, 13 जुलाई को सूरजकुंड चौराहे पर एक विशाल महापंचायत का आयोजन हुआ। अनंगपुर संघर्ष समिति द्वारा बुलाई गई इस सभा में हजारों लोग शामिल हुए, जिसमें स्थानीय निवासियों के साथ-साथ दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के अन्य हिस्सों से आए लोग भी थे। इस महापंचायत का उद्देश्य 1300 साल पुराने अनंगपुर गांव को वन क्षेत्र से बाहर करने और बुलडोजर कार्रवाई को रोकने की मांग को बुलंद करना था।
अनंगपुर संघर्ष समिति के प्रधान अतर सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि गांव वालों की पुश्तैनी जमीन को बचाना उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। उन्होंने सरकार पर सुप्रीम कोर्ट में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया, जिसके कारण गांव पर संकट मंडरा रहा है। सभा में आए लोगों का जोश देखते ही बनता था, और अनुमान है कि करीब 20,000 से ज्यादा लोग इस महापंचायत में शामिल हुए।
महापंचायत को कई बड़े राजनीतिक नेताओं का समर्थन मिला। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने मंच से ऐलान किया कि कांग्रेस इस मुद्दे पर गांव वालों के साथ खड़ी है और उनके 37 विधायक व 5 सांसद इस लड़ाई में पूरा सहयोग देंगे। आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, “जब जनता एकजुट होकर अपनी आवाज उठाती है, तो सरकार को झुकना ही पड़ता है।” पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई और गांव वालों के हक की बात उठाई।
किसान नेता राकेश टिकैत ने सभा में हिस्सा लिया और कहा कि यह केवल अनंगपुर की नहीं, बल्कि पूरे अरावली क्षेत्र के गांवों की लड़ाई है। उन्होंने सरकार से मांग की कि अनंगपुर को लाल डोरा में शामिल किया जाए ताकि गांव वालों की जमीन सुरक्षित हो सके। सभा में एक प्रस्ताव भी पारित किया गया, जिसमें कहा गया कि अगर एक महीने के भीतर अनंगपुर को वन क्षेत्र से बाहर नहीं किया गया, तो बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।
अनंगपुर गांव अरावली की पहाड़ियों में बसा है और इसे वन क्षेत्र घोषित किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वन विभाग ने पिछले कुछ हफ्तों में यहां 200 से ज्यादा निर्माण ढहाए हैं। गांव वालों का कहना है कि यह 1300 साल पुराना गांव है और उनकी पुश्तैनी जमीन को अवैध बताना गलत है। अनंगपुर संघर्ष समिति के सलाहकार विजय प्रताप ने कहा, “हमारी लड़ाई अभी शुरू हुई है। हम सरकार को दिखाएंगे कि जनता की ताकत क्या होती है।”
पुलिस की कड़ी निगरानी में यह महापंचायत शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई, और कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। इस सभा ने अनंगपुर के लोगों की एकजुटता को और इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया। स्थानीय लोग अब सरकार के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं, और यह देखना बाकी है कि इस आंदोलन का क्या असर होगा।